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पतंजलि: योग-सूत्र (भाग-2)
ओशो
(योग: 'दि अल्फा एंड दि ओगेगा' शीर्षक से ओशो दवारा अंग्रेजी में दिए गए सौ अमृत प्रवचनो में से द्वितीय बीस प्रवचनों का हिंदी में अनुवाद।)
पतंजलि रहे है बड़ी अद्भुत मदद-अतलनीय। लाखों गुजर चुके है इस संसार से पंतजलि की
सहायता से, क्योंकि वे अपनी समझ के अनुसार बात नहीं कहते; वे तुम्हारे साथ चलते है। और जैसेजैसे तुम्हारी समझ विकसित होती है, वे ज्यादा गहरे और गहरे जाते है। पंतजलि पीछे हो लेते है शिष्य के। ......पतंजलि तुम तक आते है। .....पतंजलि तुम्हारा हाथ थाम लेते है और धीरे-धीरे वे तुम्हें (चेतना के) संभावित उच्चतम शिखर तक ले जाते है......।
पंतजलि बहुत युक्तियुक्त है-बहुत समझदार है।
वे बढ़ते है चरण-चरण; चे तुम्हें ले जाते है।
वहां से जहां तक कि तुम हो।
वे आते है घाटी तक; तुम्हारा हाथ थाम लेते है।
और कहते है-एक एक कदम उठाओ।....
पतंजलि की सुनना ठीक से। न ही केवल
सुनना,बल्कि कोशिश करना सारतत्व को
आत्मसात करने की।
बहुत कुछ संभव है उनके द्वारा।