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( २२ )
॥ कार्य सिद्धि मन्त्र ।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं क्लौं बलं अहं नमः ॥५६॥
इस मन्त्र के जाप से सर्व कार्य की सिद्धि होती है, साध्य करते समय इक्कीस हजार जाप करना चाहिये।
॥ शत्रु भयहर मन्त्र ॥ ॐ ह्रीं श्रीं अमुकं दुष्टं साधय साधय अ. सि. प्रा. उ. सा. नमः ॥६०॥
इस मन्त्र की इक्कीस दिन तक प्रातः काल में माला फेरे, बाद में कार्य हो तब अमूक जाप करे तो शत्रु का भय नष्ट होता है।
॥ रोगक्षय मन्त्र ।। ॐ नमो सवोसहिपत्ताणं ॐ नमो खेलोसहिपत्ताणं ॐ नमो जलोसहिपत्ताणं ॐ नमो सव्वोसहिपत्ताणं स्वाहा ॥६१॥
इस मन्त्र के जाप्य से रोग-पीड़ा शान्त होंगे नित्य एक माला फेरने से व्याधि कम होती है।
॥ ब्रपहर मन्त्र | ॐ गमो जिरगाणं जावयाणं पुसोरिण अंएएरिण सव्वा वायेण वरणमापच्चं उमाघुष उमाफुट् ॐ ॐ ठः ठः स्वाहा ।।६२॥
इस मन्त्र से राख मन्त्रित कर व्रण-जिनको वरण भी कहते हैं बालकों के शरीर पर हो जाते हैं, उन पर अथवा शीतला के वरण पर लगावे तो व्रण मिट जाता है ।
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