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( २१ )
॥ विवादे विजय मंत्र ॥ ॐहंसः ॐ ह्रीं अहऐं श्री अ.सि.पा.उ.सा. नमः ।।५४।। .. इस मन्त्र को इक्कीस बार अवाच्य स्मरण कर विवाद शुरु करे तो विजय प्राप्त होगा।
॥ उपवासफल मन्त्र ।। ॐ नमो ॐ अर्ह अ. सि. आ. उ. सा. रगमो अरिहन्ताणं नमः ।।५५।।।
इस मन्त्र को १०८ बार स्मरण करने से उपवास जितना फल प्राप्त होता है।
। अग्निक्षय मन्त्र ।। उपर बताये हुवे मन्त्र नम्बर "५५'को सिद्धि करने के बाद २१ दफा मन्त्र द्वारा जल मन्त्रित करे और अग्नि उपद्रव समय में तीन अञ्जली भर कर अथवा अन्य प्रकार से अग्नि वेष्टित जल धार देवे तो अग्नि उपद्रव शान्त हो जाता है।
॥ सर्पभयहर मन्त्र ।। ॐ ह्रीं अर्ह अ. सि. आ. उ. सा. अनाहत विजये अर्ह नमः ॥५७॥ ___इस मन्त्र को साध्य करे तब नित्यप्रति सुबह दोपहर को और सांयकाल को स्मरण करे और प्रत्येक दिपोत्सवी के दिन १०८ जाप्य करे तो यावज्जीव सर्प भय नहीं होता है।
॥ लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र ।। ॐ ह्रीं ह्ररमो अरिहन्ताणं ह्रौं नमः ।।५८॥
इस मन्त्र का नित्यप्रति १०८ जाप करने से लक्ष्मी प्राप्त होती है । सुख मिलता है और द्रव्य पाता है ।
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