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( २३ )
॥ सूर्य मंगल पीड़ा मन्त्र ॥ ॐ ह्रीं नमो सिद्धाणं ॥६३।।
सूर्य, मंगल दोनों ग्रह शांति के हेतु एक हजार जाप नित्य प्रति जहां तक ग्रह पीड़ा रहे किया करें तो सुख प्राप्त होता है।
॥ चन्द्र शुक्र पीड़ा मन्त्र । ॐ ह्रीं नमो अरिहंतारणं ॥६४॥
चन्द्र शुक्र दोनों की दृष्टि पीडाकारी हो तब एक हजार जाप नित्यप्रति करने से सुख प्राप्त होता है।
. ॥ वुध पीड़ा मन्त्र ॥ ॐ ह्रीं नमो उवज्झायारणं ॥६५॥
बुध की दशा हानिकारक हो तब प्रसन्न करने के लिये इस मन्त्र का जाप एक हजार नित्यप्रति करना चाहिये।
गुरु पीड़ा मन्त्र ॥ ॐ ह्रीं नमो पायरियाणं ॥६६॥
गुरु की दृष्टि हानिकारक हो तब एक हजार जाप नित्य करना चाहिये।
॥ शनि राहू केतु पीड़ा मन्त्र ॥ ॐ ह्रीं नमो लोए सव्वसाहूणं ॥६७।।
इस मन्त्र का नित्य एक सहस्र जाप करने से शनीश्चर राहू केतु की दृष्टि हानिकर हो तो मिट जाती है और सुख मिलता है।
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