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लेश्या-ध्यान
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अजितेन्द्रियता-ये कृष्ण-लेण्याने
लेश्या-सिद्धात की दृष्टि से अविरति, क्षुद्रता, निर्दयता, नशसता,
साता-ये कषण- लेश्या के परिणमन हैं। ईर्ष्या, कदाग्रह, अज्ञान, का निर्लज्जता, विषय-वासना, क्लेश, रस-लोलुपता-ये नील-लेश्या के परिणमन हैं। वक्रता-वक्र आचरण, अपने दोषों को ढांकने की मनोवत्ति.
गद का भाव, मिथ्या दृष्टिकोण, दूसरे के मर्म को भेदने की वृत्ति, अप्रिय कथन-ये कापोत-लेश्या के परिणमन हैं।
विज्ञान की दृष्टि, योग-शास्त्रीय दृष्टि और लेश्या-सिद्धांत की दष्टि-इन तीनों की तुलनात्मक दृष्टि से लेश्या के सिद्धांत में जो तीन लेश्याएं हैं, योगशास्त्र की दृष्टि में जो तीन चक्र हैं और विज्ञान की दृष्टि में जो एड्रीनल और गोनाड्स ग्रंथियां हैं-इन सबका काम समान-सा है। लेश्या का सिद्धांत मानता है कि सारी आदतें तीन लेश्याओं में जन्म लेती हैं. योग-शास्त्र मानता है कि सारी आदतें तीन चक्रों में जन्म लेती हैं और विज्ञान के अनुसार ये सारी आदतें दो ग्रंथियों में जन्म लेती हैं। अद्भुत समानता है तीनों प्रतिपादनों में। यह सत्य स्पष्ट हो गया कि सारी बुरी वृत्तियां पेडू के पास वाले स्थान से लेकर नाभि के स्थान तक या हृदय के स्थान तक जन्म लेती हैं। इतना ही स्थान है इनका । इस सत्य को समझ लेने पर बदलने की बात को समझने में बहुत सरलता हो जाती है। भावधारा, लेश्या और आभामण्डल
प्राणी न शुद्ध अर्थ में आत्मा है और न शुद्ध अर्थ में जड़ पदार्थ है। वह एक यौगिक पदार्थ है। चैतन्य और पदार्थ का योग है। आत्मा का लक्षण है चैतन्य । पदार्थ का लक्षण है-वर्ण, गंध, रस और स्पर्श । प्राणी का आभामण्डल दो प्रकार की ऊर्जाओं के संयुक्त विकिरण से बनता है-एक चैतन्य द्वारा प्राण-ऊर्जा का विकिरण और दूसरा भौतिक शरीर द्वारा विद्युत्-चुम्बकीय ऊर्जा का विकिरण। प्राण-ऊर्जा के विकिरण का आधार है-व्यक्ति की भावधारा। भाव चैतसिक है और आभामण्डल पौद्गलिक (भौतिक) है, फिर भी भाव और आभामण्डल दोनों परस्पर प्रगाढ़ सम्बन्ध रखते हैं। आभामण्डल हमारी भावधारा का प्रतिनिधित्व करता है। इस दृष्टि से भाव के द्वारा आभामण्डल की और आभामण्डल के द्वारा भाव की व्याख्या की जा सकती है। आभामण्डल किसी एक रंग का नहीं होता। उसम अनेक रंगों का मिश्रण होता है क्योंकि उसका निर्माण लेश्याओं के आधार पर होता है। लेश्या के रंग व्यक्ति के भाव पर निर्भर रहते हैं। जिस व्यक्ति में जिन भावों का प्रधानता होती है, वैसे ही लेश्या के रंग हो जाते
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