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प्रेक्षाध्यान सिद्धान्त और प्रयोग
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११८ जिन्होंने रंग के विषय में सैकड़ों लेख एवं पुस्तकें लिखी हैं तथा जो विषय के अधिकृत व्यक्ति माने जाते हैं। श्री बिरेन के मतानुसार स्कलर कमरे में बत्तियों के साथ परा-बैंगनी प्रकाश वाली बत्तियों को लगा विद्यार्थियों का विकास तेजी के साथ होता है, उनकी कार्य-क्षमता और प्राप्तांकों में वृद्धि होती है तथा जुकाम, नजले आदि की बीमारियों की घटनाओं में कमी होती है। शांतिदायक गुलाबी रंग
. केलिफोर्निया (अमरीका) के सान बरमार्डिनो काउण्टी के “प्रोबेशन विभाग” (अपराध-सुधार-विभाग) की स्वास्थ्य सेवा के निदेशक श्री पौल ई. बोकुनिनी कहते हैं-"हमारे यहां कैद बाल अपराधी जब कभी उन्मत्त होकर हिंसा पर उतारु हो जाते थे, तब पहले हम यातनाओं द्वारा उन पर नियंत्रण प्राप्त करने का प्रयत्न करते थे। अब हम उन्हें ऐसे कमरे में रखते हैं जिसकी दीवारें एक विशेष गुलाबी रंग से रंगी हुई होती हैं। हमने पाया कि वे उद्दण्ड बच्चे चिल्लाना छोड़ कर शिथिल और शांत होकर केवल १० मिनट में ही निद्राधीन हो जाते हैं। समूचे अमरीका में लगभग १५०० से अधिक अस्पतालों एवं सुधार-गृहों में कम से कम एक कमरा गुलाबी रंग की दीवारों वाला होता ही है। यह गुलाबी रंग "शांति दायक गुलाबी रंग के नाम से प्रसिद्ध है। यह मनुष्य की भावनाओं पर होने वाले रंग के प्रभाव का ज्वलन्त उदाहरण है। मनःकायिक बीमारियों पर रंगों का प्रभाव
व्यक्ति की बीमारियों को रंग कैसे और क्यों प्रभावित करते हैं-इस विषय में सभी चिकित्सक एकमत नहीं हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि रंगों का प्रभाव सीधे शरीर पर न होकर, मानस पर होता है। उनके मतानुसार रंगों द्वारा ऐसी मनोदशाओं का निर्माण होता है जो शरीर को स्वस्थ कर देती है। किन्तु यह नहीं भूलना चाहिए कि आधे से अधिक बीमारियां मनःकायिक ही होती हैं।
इस बात को तो सभी चिकित्सक और शोधकर्ता स्वीकार करते हैं कि विद्युत्-चुम्बकीय तरंग-क्रम का अमुक हिस्सा, जैसे कि “एक्स” किरणें, सूक्ष्म तरंगें एवं परा-बैंगनी किरणें, व्यक्ति के स्वास्थ्य पर उल्लेखनीय प्रभाव डालती हैं। किन्तु पुरे दृश्य प्रकाश के प्रभाव के विषय में उनमें मतभेद है। फिर भी अनेक प्रयोगों द्वारा स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध हुए हैं कि
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