________________ समारोप व्यवच्छेद - संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय को समारोप कहते हैं इनको दूर करने वाले प्रमाण को समारोप व्यवच्छेद कहते हैं। सम्प्रदाय विच्छेद - परम्परा का विच्छेद-नष्ट होना। सर्वज्ञत्ववाद - सर्वज्ञ को मीमांसक नहीं मानते उस मान्यता का इस सर्वज्ञत्ववाद प्रकरण में खण्डन किया है। सर्वाक्षेप - पूर्ण रूप से स्वीकार। सव्येतर गोविषाण - गाय के दांये बांये सींग। सहज योग्यता स्वभाव से होने वाली योग्यता को सहज योग्यता कहते हैं। साकार ज्ञानवाद - ज्ञान पदार्थ के आकार होता है, जो साकार ज्ञान है वही प्रमाणभूत है- ऐसा बौद्ध कहते हैं। सात्मक - आत्मा सहित शरीर को सात्मक कहते साध्यधर्मी सान्वयचित्तसंतान अनुमान द्वारा जिसको सिद्ध करना है उसको साध्य तथा उस साध्य के रहने के स्थान को धर्मी कहते हैं। - यह चित्त है. यह चित्त है इस प्रकार के अन्वय सहित चित्त अर्थात् चैतन्य की परंपरा को सान्वयचित्त सन्तान कहते हैं। - बौद्ध ग्रन्थ में सदृश या समानाकार को सारूप्य नाम से कहा जाता है। - जो प्रसिद्ध है उसको साध्य बनाना सिद्ध प्रमेयकमलमार्तण्डसार::361 सारूप्य सिद्धसाध्यता