SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 439
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सर्ग रहना सकल व्याप्ति कहलाती है। रचना, उत्पत्ति। सत्तासमवाय वस्तु की सत्ता अर्थात् अस्तित्व समवाय नामा किसी अन्य पदार्थ से होता है ऐसा सत्तासमवाय मानने वाले नैयायिकादि प्रवादी कहते हैं। सत्कार्यवाद - सांख्य प्रत्येक कार्य को कारण में सदा से मौजूद है ऐसा मानते हैं, इस मान्यता को सत्कार्यवाद कहते हैं, इनका कहना है कि बीज में अंकुर, मिट्टी में घट इत्यादि पहले से ही रहते हैं। सदसद् वर्ग सद् वर्ग-सद्भाव रूप पदार्थों का समूह, असद् वर्ग-अभाव रूप पदार्थों का समूह इन दोनों को सदसद् वर्ग कहते हैं। सदुपलंभ प्रमाण पंचक -अस्तित्व को ग्रहण करने वाले प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम, उपमा और अर्थापत्ति ये पाँच प्रमाण हैं ऐसा मीमांसक आदि मानते हैं, इनका कहना है कि प्रत्यक्षादि प्रमाण केवल सत् या अस्तित्व को ही जान सकते हैं असत् या अभाव को नहीं। सन्दिग्धव्यतिरेक - हेतु का विपक्ष में व्यतिरेक अर्थात् नहीं रहना संशयास्पद हो तो उस हेतु को सन्दिग्ध व्यतिरेक कहते हैं। सन्निकर्ष चक्षु आदि सभी इन्द्रियाँ पदार्थों को छूकर प्रमेयकमलमार्तण्डसार::359
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy