________________ विप्रकृष्ट - दूर, विपाकान्त - फल देने तक रहने वाला (कर्म) विवर्त - पर्याय को विवर्त कहते हैं। विवर्त्त - पर्याय, अवस्था। विशद विकल्प "यह घट है" इत्यादि रूप से स्पष्ट निश्चय होना। विषयाकारधारित्व - घट आदि पदार्थ ज्ञान के विषय कहलाते हैं, उनके आकारों को ज्ञान अपने में धारण करता है ऐसा बौद्ध मानते हैं, इसी को विषयाकारधारित्व कहते हैं। विज्ञानाद्वैतवाद जगत के सम्पूर्ण पदार्थ ज्ञानरूप ही हैं, ज्ञान को छोड़कर दूसरा कोई भी पदार्थ नहीं है ऐसा बौद्ध कहते हैं, इसी को विज्ञानाद्वैतवाद कहते हैं। वेद अपौरुषेयवाद - वेद को अपौरुषेय अर्थात् किसी भी पुरुषादि द्वारा रचा नहीं है ऐसा मीमांसक आदि परवादी मानते हैं उसको वेदापौरुषेयवाद कहते हैं। व्यक्ति विशेष भेद-प्रभेद विपर्यय - विपरीत व्यतिरिक्त - पृथक् या भिन्न। व्यतिरेक निश्चय - व्यतिरेक व्याप्ति का निश्चय या निर्णय होना। व्यतिरेक व्याप्ति - जहाँ जहाँ अग्नि आदि साध्य नहीं हैं वहाँ वहाँ धूम आदि साधन भी नहीं हैं, 356:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः