________________ भाट्ट भूतचैतन्यवाद भूयोदर्शन महान् - मीमांसक का एक प्रभेद-भट्ट नाम के ग्रन्थकार के सिद्धान्त को मानने वाला। पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु- इन चार पदार्थों से आत्मा या चैतन्य उत्पन्न होता है- ऐसा चार्वाक का कहना है। इसी मत को भूतचैतन्यवाद कहते हैं। किसी वस्तु का पुनः दिखाई देना। प्रकृति तत्त्व से महान् (बुद्धि) उत्पन्न होता है ऐसा सांख्य मानते हैं। - रसोई घर पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इनको महाभूत कहते हैं. इनके सक्षम महाभूत तथा स्थूल महाभूत ऐसे दो भेद महानस महाभूत युगपज्ज्ञानानुत्पत्ति - एक साथ अनेक ज्ञानों का नहीं होना। योगज धर्म - प्राणायाम, ध्यानादि के अभ्यास से आत्मा ___ में ज्ञानादि गुणों का अतिशय होना। रजत प्रत्यय - चाँदी का प्रतिभास होना। रथ्या पुरुष - पागल, गली में भ्रमण करने वाला। लघुवृत्ति - शीघ्रता से होना। लक्षित लक्षणा लक्षितेन (सामान्येन-ज्ञातेन) लक्षणा-विशेष प्रतिपत्ति, अर्थात् सामान्य के ज्ञात होने से उसके द्वारा विशेष का निश्चय होना लक्षित लक्षणा कहलाती है। 354:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः