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________________ प्रत्यक्ष प्रमाण - विशद-स्पष्ट ज्ञान को प्रत्यक्ष प्रमाण कहते प्रत्यक्ष पृष्ठ भावी विकल्प ज्ञान- निर्विकल्प प्रत्यक्ष ज्ञान के पीछे विकल्प ज्ञान उत्पन्न होता है ऐसा बौद्ध मानते हैं। प्रत्यभिज्ञान प्रामाण्यवाद-जोड़ रूप प्रत्यभिज्ञान को इस प्रकरण में प्रमाणभूत सिद्ध किया है। प्रत्यवाय विघ्न। प्रत्यासत्ति निकटता को प्रत्यासत्ति या प्रत्यासन्न कहते प्रधान प्रधान या प्रकृति प्रध्वंसा सांख्य मत का एक तत्त्व, प्रमुख को भी प्रधान कहते हैं। - सांख्य द्वारा मान्य एक तत्त्व, जो कि अचेतन है, इसी के इन्द्रियादि 24 भेद हैं। जिसके होने पर नियम से कार्य का नाश होता है, वह प्रध्वंस कहलाता है, जैसे घट रूप कार्य का नाश करके कपाल बनता है, मिट्टी रूप द्रव्य का अनन्तर परिणाम घट था उस घट का उत्तर परिणाम कपाल है, यह घट कार्य का प्रध्वंस है। - अपने को और पर को निर्णय रूप से जानने वाले ज्ञान को प्रमाण कहते हैं, अथवा सम्यग्ज्ञान को प्रमाण कहते हैं। प्रत्यक्ष, अनुमान, अर्थापत्ति, उपमान और आगम- इन पाँच प्रमाणों को मीमांसक प्रमेयकमलमार्तण्डसार::351 प्रमाण प्रमाणपंचकाभाव
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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