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________________ पर्युदासप्रतिषेध कर रहा हो। - किसी अपेक्षा से निषेध या भावान्तर स्वभाव वाले अभाव को पर्युदास कहते पाँचरूप्यवाद - नैयायिक हेतु के पाँच गुण मानते हैं-पक्ष धर्म, सपक्ष सत्त्व, विपक्ष व्यावृत्ति, अबाधित विषय और असत्प्रतिपक्षत्व। सांख्य का 25 वां तत्व, यह चेतन है। इस को सांख्य अकर्ता एवं ज्ञान शून्य मानते पुरुष पूर्ववदाद्यनुमान त्रैविध्यनिरास- नैयायिक अनुमान के तीन प्रकार मानते हैं-पूर्ववत्, शेषवत् और सामान्यतोदृष्ट, इस मान्यता का जैन ने निरसन किया है। पौरुषेय पुरुषकृत। प्रकरणसमहेत्वाभास - वादी प्रतिवादी दोनों के पक्ष का हेतु समान रूप से स्वसाध्य का साधक होना अर्थात् तुल्य बल वाला होना प्रकरणसम नामक हेत्वाभास है, इसको यौग मानते प्रकृति - सांख्य के प्रधान का दूसरा नाम प्रकृति है। प्रकृति का अर्थ स्वभाव भी है। प्रक्षालिताशुचिमोदक परित्यागन्याय- कोई भिक्षु आदि मार्ग से मोदक (लड्डू) ले जा रहा था हाथ से मोदक नाली में गिरा उसको लोभ वश प्रमेयकमलमार्तण्डसार::349
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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