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________________ पक्ष ज्ञान है वही प्रत्यक्ष प्रमाण है ऐसा बौद्ध कहते हैं। निषेधव्याधार निषेध करने योग्य घट पट आदि पदार्थ हैं उनका जो आधार हो उसे निषेध्याधार कहते हैं। निषेधृ अमुक वस्तु नहीं है इस प्रकार निषेध करने वाला ज्ञान। साध्य के आधार को पक्ष कहते हैं। परघात - जिस कर्म के उदय से पर के घात करने वाले शरीर के अवयव बने उस कर्म को परघात नाम कर्म कहते हैं। परम प्रकर्ष - उत्कृष्ट रूप से वृद्धि। परमौदारिक - सप्त धातु रहित अरिहन्त का शरीर। परिच्छेद - जानने योग्य। परिशोधक - विषय का शोधन करने वाला ज्ञान परिशोधक कहलाता है। परोक्ष प्रमाण अस्पष्ट ज्ञान। परोक्षज्ञानवाद ज्ञान सर्वथा परोक्ष रहता है अर्थात् स्वयं या अन्य ज्ञान के द्वारा बिलकुल ही जानने में नहीं आ सकता ऐसा मीमांसक मानते हैं अतः ये परोक्षज्ञानवादी या ज्ञानपरोक्षवादी कहलाते हैं। पर्युदास पर्युदास नाम का अभाव उसको कहते हैं जो एक का अभाव बताते हुए भी साथ ही अन्य सदृश वस्तु का अस्तित्व सिद्ध 348:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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