________________ धर्म द्विचन्द्र वेदन - एक ही चन्द्र में दो चन्द्र का प्रतिभास होना। द्वैत - दो या दो प्रकार की वस्तुओं का होना। धारावाहिक ज्ञान - एक ही वस्तु का एक सरीखा ज्ञान लगातार होते रहना, जैसे यह घट है, यह घट है, इस प्रकार एक पदार्थ का उल्लेख करने वाला ज्ञान। - पुण्य/धर्म द्रव्य/सच्चे शाश्वत सुख में धरने वाला धर्म। निर्जरा - कर्मों का एक देश क्षय होना या झड़ जाना निर्जरा कहलाती है। निरवयव - अवयव रहित। निवर्तमान - नास्ति रूप से प्रतिभासित होने वाला ज्ञान। लौटता हुआ। निरन्वय - मूल से समाप्त होना। निःश्रेयस - मोक्ष या मुक्ति। नैरात्म्यभावना चित्त सन्तान का निरन्वय नाश होता है अर्थात् मोक्ष में आत्मा नष्ट होता है, ऐसा बौद्ध का कहना है, जगत के यावन्मात्र विवाद तथा संकल्प विकल्प आत्मा मूलक है अतः आत्मा का आस्तित्व ही स्वीकार नहीं करना चाहिये ऐसा माध्यमिक आदि बौद्ध का कहना है। इसी भावना को नैरात्म्य भावना कहते हैं। निर्विकल्प प्रत्यक्ष - नाम, जाति आदि के निश्चय से रहित जो प्रमेयकमलमार्तण्डसार::347