________________ खपुष्प खररटित गमक हेतु गम्यमान गोत्रस्खलन गृहीतग्राही ग्राह्य-ग्राहक - आकाश का पुष्प (नहीं होना) - गधे के सींग (नहीं होते) - गधे का चिल्लाना, रेंकना खर रटित कहलाता है। - साध्य को सिद्ध करने वाला हेतु। ज्ञात हो रहा अर्थ। मुख से कुछ अन्य कहना चाहते हुए भी कुछ अन्य नामादि का उच्चारण हो जाना गोत्रस्खलन कहलाता है। - जानी हुई वस्तु को जानने वाले ज्ञान को गृहीतग्राही कहते हैं। ग्रहण करने योग्य पदार्थ ग्राह्य और ग्रहण करने वाला पदार्थ ग्राहक कहलाता है। जहाँ तीन धर्मों का सिद्ध होना परस्पर में अधीन हो, अर्थात् एक असिद्ध धर्म या वस्तु से दूसरे धर्म आदि की सिद्धि करना और उस दूसरे असिद्ध धर्मादि से तीसरे धर्म या वस्तु की सिद्धि करने का प्रयास करना, पुनश्च उस तीसरे धर्मादि से प्रथम नंबर के धर्म या वस्तु को सिद्ध करना, इस प्रकार तीनों का परस्पर में चक्कर लगते रहना, एक की भी सिद्धि नहीं होना चक्रक दोष हैं। - जैन साधु आहारार्थ निकलते हैं उस विधि को चर्यामार्ग कहते हैं। प्रमेयकमलमार्तण्डसार::343 चक्रक दोष चर्यामार्ग