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________________ ऊह उदात्त उच्चस्वर से बोलने योग्य शब्द। ऊँचे विचार को भी उदात्त कहते हैं। उदंचन - जल सींचने का पात्रविशेष। उपलंभ - प्राप्त या उपलब्ध को उपलंभ कहते हैं। उभयसिद्ध धर्मी प्रमाण तथा विकल्प द्वारा सिद्ध धर्मी (पक्ष) को उभयसिद्ध धर्मी कहते हैं। - अर्थात् तर्क प्रमाण। कामला - पीलिया रोग को कामला कहते हैं। कर्क - सफेद घोड़ा। क्रमानेकान्त - क्रमिक अनेकान्त को क्रमानेकान्त कहते हैं। जैसे द्रव्य में पर्यायें क्रम से होती हैं तो उसे क्रमानेकान्त कहते हैं। कारककारण कार्य को करने वाले कारण को कारककारण कहते हैं। कारकसाकल्य कर्ता, कर्म आदि कारकों की पूर्णता होना कारकसाकल्य कहलाता है। नैयायिक ज्ञान की उत्पत्ति में सहायक जो भी सामग्री है, उसको कारकसाकल्य कहते हैं और उसी को प्रमाण मानते हैं। कालात्ययापदिष्ट - प्रत्यक्षादि प्रमाण से बाधित हेतु को कालात्ययापदिष्ट हेत्वाभास कहते हैं। किंचिज्ञ अल्पज्ञानी। कुमारिल - मीमांसक मत के ग्रन्थकार। आकाश, तथा लोप को ख कहते हैं। ख 342:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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