________________ सुख एवं वैभव को अभ्युदय कहते हैं। अरिष्ट - शकुन को अरिष्ट कहते हैं तथा अपशकुन को भी अरिष्ट कहते हैं। अविचारक ज्ञान - विचार रहित निर्विकल्प ज्ञान। अव्युत्पन्न अजानकार, अनुमानादि के विषय में अज्ञानी। अशेषार्थ गोचरत्व - परमार्थ प्रत्यक्ष प्रमाण अशेष (संपूर्ण) पदार्थों को विषय करता है, इसको अशेषार्थ गोचरत्व कहते हैं। अश्वविषाण - घोड़े के सींग (नहीं होते हैं) असत् प्रतिपक्षत्व तुल्य बलवाला अन्य हेतु जिसके पक्ष को बाधित नहीं करता उस हेतु को असत् प्रतिपक्षत्व गुण वाला हेतु कहते हैं। असाधारण अनैकान्तिक - जो सपक्ष और विपक्ष दोनों से व्यावृत्त हो वह असाधारण अनैकान्तिक नामा सदोष हेतु है, यह हेत्वाभास यौग ने स्वीकार किया है। अस्मर्यमाण कर्तृत्व - कर्ता का स्मरण नहीं होना अस्मर्यमाण कर्तृत्व कहलाता है। अहंकार गर्व को अहंकार कहते हैं। सांख्य का कहना है कि प्रधानतत्त्व से महान् (बुद्धि) और महान् से अहंकार आविर्भूत होता अहंप्रत्यय - "में" इस प्रकार का अपना अनुभव या ज्ञान होना। 340:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः