________________ कर अन्य प्रकार से उसी को स्वीकृत कर लेते हैं उसे अन्धसर्पबिलप्रवेश न्याय कहते हैं। अनन्वय अन्यथानुपपत्ति अन्यादृश अविद्धकर्ण - हेतु की साध्य के साथ व्याप्ति नहीं होना। साध्य के बिना साधन का नहीं होना, अथवा इसके बिना यह काम नहीं हो सकता, जैसे बरसात के बिना नदी में बाढ़ नहीं आना इत्यादि। - अन्य तरह का। नहीं छेदा गया है कर्ण जिसका उस व्यक्ति को अविद्धकर्ण कहते हैं। योग मत के एक ग्रन्थकार का नाम अविद्ध कर्ण है। - अन्य का अपोह अर्थात् व्यावर्त्तन या निषेध। - जहाँ पर दो वस्तु या धर्मों की सिद्धि एक दूसरे के आश्रय से हो वह अन्योन्याश्रय या इतरेतराश्रय दोष कहलाता है। जहाँ जहाँ साधन-धूमादि हेतु हैं वहाँ वहाँ साध्य- अग्नि आदिक हैं, ऐसी साध्य और साधन की व्याप्ति होना। - अन्वयव्याप्ति का निर्णय होना। - साध्य के होने पर साधन का होना अन्वय है, साध्य के अभाव में साधन का नहीं अन्यापोह अन्योन्याश्रय अन्वयव्याप्ति अन्वय निश्चय अन्वय-व्यतिरेक 338:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः