SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 330
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 6/73 294 प्रमेयकमलमार्तण्डसारः 67. तदप्यसाम्प्रतम्: जल्पवितण्डयोरपि तथोद्भावननियमप्रसङ्गात्। तयोस्तत्त्वाध्यवसायसंरक्षणाय स्वयमभ्युपगमात्। तस्य च छलजातिनिग्रहस्थानैः कर्तुमशक्यत्वात्। परस्य तूष्णीभावार्थं जल्पवितण्डयोश्छलाधुद्भावनमिति चेत्, न; तथा परस्य तूष्णीभावाभावादऽसदुत्तराणामानन्त्यात्।। 68. [न च] तत्त्वाध्यवसायसंरक्षणार्थत्वरहितत्वं च वादेऽसिद्धमः हो रही है वह तत्त्व ज्ञान के लिये हो रही है, न कि एक दूसरे के साधनाभास का दूषणाभास को बतलाने [या हार जीत कराने] के लिये हो रही है, इत्यादि। इतने विवेचन से निश्चित हो जाता है कि वाद काल में निग्रहस्थानों का प्रयोग निग्रह बुद्धि से करना युक्त नहीं। 67. जैन- यह कथन ठीक नहीं है। यदि वाद में निग्रहस्थान आदि का प्रयोग निग्रह बुद्धि से न करके निवारण बुद्धि से किया जाता है ऐसा मानते हैं तो जल्प और वितंडा में भी इन निग्रह स्थानादि का निवारण बुद्धि से प्रयोग होता है ऐसा मानना चाहिए। आप स्वयं जल्प और वितंडा को तत्त्वाध्यवसाय के संरक्षण के लिये मानते हैं, कहने का अभिप्राय यही है कि तत्त्वज्ञान के लिये वाद किया जाता है ऐसा आप यौग ने अभी कहा था सो यही तत्त्वज्ञान के लिए जल्प और वितंडा भी होते हैं, तत्त्वज्ञान और तत्त्वाध्यवासाय संरक्षण इनमें कोई विशेष अन्तर नहीं है तथा तत्त्वाध्यवसाय का जो संरक्षण होता है वह छल, जाति और निग्रह स्थानों द्वारा करना अशक्य भी है। योग- तत्त्वाध्यवसाय का संरक्षण तो छलादि द्वारा नहीं हो पाता किन्तु जल्प और वितण्डा में उनका उद्भावन इसलिये होता है कि परवादी चुप हो जायें। जैन- ऐसा करने पर भी परवादी चुप नहीं रह सकता, क्योंकि असत् उत्तर तो अनंत हो सकते हैं। असत्य प्रश्नोत्तरी की क्या गणना? योग ने जो कहा था कि वाद तत्त्वाध्यवसाय का संरक्षण नहीं करता इत्यादि, सो बात असिद्ध है, उलटे वाद ही उसका संरक्षण करने में समर्थ होता है। 68. हम सिद्ध करके बताते हैं-तत्त्वाध्यवसाय का रक्षण वाद
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy