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________________ 234 प्रमेयकमलमार्त्तण्डसार: पक्षाभासो भवति । तत्र प्रत्यक्षबाधितो यथा 6/16-17 अनुष्णोग्निर्द्रव्यत्वाज्जलवत् 1|16|| अनुमानबाधितो यथा— अपरिणामी शब्दः कृतकत्वाद्घटवत् ॥17॥ 8. तथाहि परिणामी शब्दोऽर्थक्रियाकारित्वात्कृतकत्वाद् घटवत्' इति अर्थक्रियाकारित्वादयो हि हेतवो घटे परिणामित्वं सत्येवोपलब्धाः, शब्देप्युपलभ्यमानाः परिणामित्वं प्रसाधयन्ति इति 'अपरिणामी शब्द:' इति पक्षस्यानुमानबाधा ।। अब इनके पाँच भेदों में से प्रत्यक्ष बाधित पक्षाभास का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहते हैं अनुष्णोऽग्निर्द्रव्यत्वाज्जलवत् ॥16॥ सूत्रार्थ - अग्नि ठंडी है क्योंकि वह द्रव्य है, जैसे जल द्रव्य होने से ठंडा होता है इस प्रकार कहना प्रत्यक्ष बाधित है, क्योंकि साक्षात् ही अग्नि उष्ण सिद्ध हो रही है। अनुमान बाधित पक्षाभास का उदाहरण अपरिणामी शब्दः कृतकत्वात् घटवत् ॥17॥ सूत्रार्थ - शब्द अपरिणामी होता है, क्योंकि वह किया हुआ है, जैसे घट किया हुआ है ऐसा कहना अन्य अनुमान द्वारा बाधित होता है। 8. अब उसी अनुमान को बताते हैं- शब्द परिणामी है, क्योंकि वह अर्थ क्रिया को करने वाला है तथा किया हुआ है जैसे घट अर्थक्रियाकारी और कृतक होने से परिणामी होता है, इस प्रकार के अनुमान द्वारा पहले के शब्द के अपरिणामी बतलाने वाला अनुमान बाधा युक्त होता है, क्योंकि अर्थ क्रियाकारित्व आदि हेतु घटरूप उदाहरण में परिणामित्व के होने पर ही देखे जाते हैं अतः शब्द में यदि वे अर्थक्रियाकारित्व और कृतकत्व दिखाई देते हैं तो वे शब्द को परिणामीरूप सिद्ध कर देते हैं, इसलिये " अपरिणामी शब्दः" इत्यादि पक्ष में अनुमान से बाधा आती है।
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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