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षष्ठ अध्याय
का प्रयोग किया गया है, जिनका प्रयोग अहिंसा की व्याख्या के समय किया जाता है। जैसे, स्वतन्त्रता, समता, बन्धुता आदि संविधान की उद्देशिका में ही इन शब्दों का प्रयोग किया गया है।
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अहिंसा के सन्दर्भ में हमें भारत की उद्देशिका हमेशा याद रखनी चाहिए। यह उद्देशिका इस प्रकार है
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" हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी पन्थ-निरपेक्ष लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता ( समानता) प्राप्त कराने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ सङ्कल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 27 नवम्बर 1949 ई0 (मिती मार्ग शीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी ) को एतद् द्वारा इस संविधान को अङ्गीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। "
1. स्वतन्त्रता उद्देशिका में जिन स्वतन्त्रताओं का उल्लेख है, उन्हें अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 25 से 2८ में स्थान दिया गया है। कुछ ऐसी बाह्य दशाएँ होती हैं, जो राजनीतिक समाज में प्रत्येक मनुष्य के विकास के लिए आवश्यक होती हैं। यह दशाएँ साधारणतया संविधान द्वारा निर्मित की जाती हैं, इन्हें अधिकार या स्वतन्त्रता कहते हैं। 1989 में फ्रांस की क्रान्ति में जिन तीन सिद्धान्तों का उद्घोष किया गया था, वह हैं बन्धुता । इस स्वतन्त्रता में भौतिक क्रियाओं की मानसिक स्वतन्त्रता भी अन्तर्गर्भित है ।
स्वतन्त्रता, समता और स्वतन्त्रता के साथ - साथ
2. समता - अहिंसा का उद्देश्य समता की भावना का विकास है। संविधान की दृष्टि से समता के अधिकार में न्याय, कराधान, लोकपद और नियोजन के विषय में समान व्यवहार का अधिकार है। इससे यह भी