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गांधी जी के मार्ग को अपनाया और सफलता प्राप्त की।
गाँधी- चिन्तन में अहिंसा के कुछ क्रान्तिकारी सूत्र
महात्मा गाँधी ने अहिंसा के बारे में बहुत कुछ कहा है और उसके प्रयोग किये हैं। यहाँ उनके कुछ प्रभावशाली सूत्र प्रस्तुत हैं -
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अहिंसा दर्शन
मेरी अहिंसा प्रियजनों को असुरक्षित छोड़कर खतरों से दूर भागने की बात नहीं करती।
हिंसा और कायरतापूर्ण लड़ाई में मैं कायरता की बजाय हिंसा को पसन्द करूँगा।
मेरा अपना अनुभव है कि हिंसा की शिक्षा पाए हुए लोगों को अहिंसा की वरिष्ठता समझाने में मुझे कभी कोई दिक्कत नहीं आई ।
हमें सत्य और अहिंसा को केवल व्यक्तिगत व्यवहार का मामला नहीं बल्कि समूहों, समाजों और राष्ट्रों के व्यवहार का अङ्ग बनाना होगा।
मैं केवल मनुष्यों के साथ ही भ्रातृत्व और समभाव पैदा नहीं करना चाहता बल्कि सभी जीवों, यहाँ तक कि भूमि पर रेंगने वाले कीटों के साथ भी उसी भाव की अनुभूति करना चाहता हूँ ।
मैं स्वप्नदर्शी नहीं हूँ। मैं दावा करता हूँ कि मैं एक व्यावहारिक आदर्शवादी हूँ अहिंसा धर्म, केवल ऋषियों और मुनियों के हितार्थ ही नहीं है; यह जन - सामान्य के लिए भी है।
भारतीय संविधान और अहिंसा
भारतीय संविधान अपने वृहद्रूप के लिए सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है। इस संविधान की संरचना में अहिंसा की पृष्ठभूमि है। न्यायिक, प्रशासनिक, राजनीतिक तथा सामाजिक जीवन के लिए अधिकांश स्थलों पर उन शब्दों