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उधर मृगांक के गुप्तचर व्योमगति से पहले मृगांक के पास पहुंच गए, बोले-'महाराज! आप बड़े भाग्यशाली हैं। आपकी विजय होगी।'
मृगांक ने सविस्मय पूछा-'क्या बात है? क्या स्थिति है? शत्रु सेना में क्या हलचल है?' 'राजन्! आप क्या पूछ रहे हैं? युद्ध शुरू हो गया है।' 'मैं भीतर बैठा तैयारी कर रहा हूं। किसने शुरू कर दिया युद्ध?'
'राजन्! एक कोई अनजाना युवक आया है। पता नहीं किसने भेजा है? ऐसा दिव्य शक्तिसंपन्न युवक है कि अकेला सब शत्रुओं के साथ जूझ रहा है, शत्रुओं को भगा रहा है। अब समय है। आप जाएं और शत्रु पर आक्रमण करें। आपकी विजय निश्चित है।' _ राजा मृगांक बहुत खुश हुआ। उसने पूछा-'यह तो बताओ, आखिर वह है कौन? कहां से आया है? क्या कोई दिव्यलोक से अचानक उतर आया है?' ____ कालूयशोविलास का प्रसंग है। भिवानी में दीक्षा का अवसर था। विरोधी लोग दीक्षा का विरोध कर रहे थे। रात को बाजार में विरोधी लोगों ने जनसभा आयोजित की। निर्णय किया ऐसा तेज विरोध करना है कि दीक्षा हो नहीं पाए। सभा में अचानक कोई आकर गिरा। कहां से आया? आकाश से या पाताल से? किसी को कुछ पता नहीं चला किन्तु सभा तत्काल समाप्त हो गई। कभी-कभी ऐसी भयानक घटना घटित होती है कि कोई आ जाता है।
गुप्तचर बोले-'महाराज! आप भाग्यशाली हैं। आपके भाग्य से कोई महाबलशाली उचित समय पर आ गया है। आपको अब नगर में बंद होकर रहने की जरूरत नहीं है।'
व्योमगति भी मृगांक के पास पहुंच गया। उसने भी कहा–'राजन्! अब युद्ध के मैदान में चलें।' 'व्योमगति! क्या बात है?' 'राजन्! युद्ध शुरू हो चुका है।' 'किसने किया?' 'अभी वार्ता का समय नहीं है। पहले तैयारी करो, चलो।' तत्काल रणभेरी बजी। नगर के दरवाजे खुल गए। रत्नचूल ने सुना, पूछा-'यह आवाज क्या आ रही है?'
गुप्तचरों ने बताया-'महाराज! रणभेरी बज गई है। मृगांक अपनी सेना के साथ हमारी सेना पर आक्रमण करना चाहता है।'
रत्नचूल ने कहा-'इतनी हिम्मत! रत्नचूल के सामने मृगांक आएगा?' उधर मृगांक तैयारी कर रहा है, इधर रत्नचूल का आवेश प्रबल बन रहा है। युद्ध में दोनों मिलेंगे। परिणाम क्या होगा?
गाथा परम विजय की
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