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सभी कुछ मिला ब्रह्मगुलाल को-नाम, यश, अवसरकी टोह में रहने लगे मंत्रीजी। प्रशंसा,धन,दौलत। ज्यूंज्यूं नाम मिला कला एकदिन वह बैठे थे राजकुमार के पास निखरती गई। परन्तु उसका यश सब के गले कि...
|कि... मंत्रीजी देखा आपनेतले नहीं उतर सका। कुछ उससे जलने लगे, उनमें थे राजा के मंत्री जी। एक दिन...
ब्रह्मगुलाल कमाल कारूप
बनाता है।वहजो रूपबनाता ब्रह्मगुलाल,ब्रह्मगुलाल,जिधर देखो
है, उसी रूप वह उस समय उसी का नाम । महाराज भी तो उसी के गीत
बन जाता है।वह क्या है गाने लगे हैं हरदम-हरसमय इस ही की
इस बात को बिल्कुल प्रशंसा, उसीकी हीतारीफ
भूलजाता है ठीक है, इस तरह तो हमें कोई
परन्तु.. भी नहीं पूछेगा। कुछ न कुछ तो करनाही पड़ेगा अब तो।
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परन्तु
क्या , मंत्री जी
यह सब धोखा है कुंवरजी।हमतो तब जाने जब आप उससे शेर का वेष बनवायें, तब देखें क्या वह उस समयवास्तव में शेर ही बन जाता है, क्या उसमें शेरत्व आ जाता है,
क्या वह शेर जैसा हीर हो जाता है ?
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