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पाँच
अनेक धर्मों के मानने वाले बैठे हैं। चर्चा छिड़ गई कि जिनेन्द्र भगवान
की शरण में जाने किसका भगवान बुद्धं शरणं
से ही मुक्ति मिलेगी बड़ा है,किसकी गच्छामि'बद्ध है। राम नाम दूसरा न कोई'कृष्ण) 'अरहते शरणं शरण में जाना की शरण में ही ही सत्य
ही सब कुछ है
पव्वज्जामिय चाहिये...जाने से कल्याण,
होगा
नहीं,नहीं विष्णु भगवान ही कल्याण करने वाले हैं
A
सब लड़ने लगे, झगड़ने लगे, एक दूसरे को भला-बुराकहने लगे, इतने में एक महात्माजी वहाँ आ पहुचे... क्यों लडते
जैन लोग तो जिनेन्द्र की शरण के (झगड़ते हो भाई,बात क्या है ?
अतिरिक्त किसी की भी शरण को ठीक नहीं देवो महात्मन।
मानते। आप ही हमारा न्यायकर हम में से कोई बुद्ध
दीजिये ना के गीत गाता है,काई विष्णु को अच्छा कहता है,कोईरामको तो कोई हरि को।