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भैया,बात किसी की भी गलत नहीं है। सभी तो ठीक कहते हैं। यह भी ठीक हैं,
यह भी ठीक हैं। यह कैसे हो सकता है प्रभ। बात तो एक की ही । झगड़ने की कोई हो सकती है। सब की बात
बात है ही नहीं। कैसे ठीक है?
महत्मा जी ने अपने हाथ में कुछउठाया,और..
ठहरो ठहरो भाई। अभी समझाता हूँ। बताओ मेरे हाथ में क्या है?
ये दोनों झूठ हैं | आपके हाथ में तो गेहूँ है।
नहीं नहीं कनक
गन्दुम
ठीक है,कोई बात नहीं। अच्छा भाई, तुम बताओ तुम्हें क्या चाहिये?
यह लो गन्दुम
गन्दुम)
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