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मुक्ति कामिक्स काफी सोच-विचारकर ब्रह्मगुलाल ने
राजकुमाव से कहा
पर सिंह का ही स्वांग क्यों ?)
और फिर उसकापराक्रम भी... वैव.. मैं
करूंगा, परन्तु .....
परन्तु क्या? मैं इसके लिए सब कुछ करने को तैयार हूं..तुम स्पष्ट करे.
यदि उस समय हमसे कोई अपराध हो जावे तो क्षमा
किया जावं.
राजकुमार राजा के पास गया, और सारा वृतान्त कहा.
ठीक है. मैं अभी पिताजी से वचन लेकर पाता हूं.
तुमने यह ठीक. नहीं किया पुत्र , फिर भी) में एक प्राणीवध के प्रपराध को माफ
कर दूंगा.