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मुक्ति कामिक्स एक दिन ब्रहमगुलाल ने सीता का नाटक किया.
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हे राम ! हे राम !.00
कल तुमनें ब्रहमगुलाल का, नाटक देखा.)
'वाह.. वाह. 'सचमुच
और फिर तो ब्रहमगुलाल का यश राजदरबार में भी चारों तरफ फैलगया। इससे जल-भुनकर मन्त्री ने एक भयंकर षड्यंत्र रचा. उसनेराजकुमार को भड़काया .
/ अरे ! ऐसा स्वांग करने में क्या
00
सीता जैसा.
हम तो तब जाने
( कि.. वह अपनी परीक्षा
दें
हाँ.. भाई हां.) ये भी - ठीक कहते है.