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नाटक हों तो ऐसे.
ब्रहमगुलाल
मालेख - डॉ. योगेशचन्द्र जैन. चित्रांकन- विभुवन सिंह यादव
सहयोग-सरोजदी-एम.सत्र बात बहुत पुरानी है। एक राजकुमार था, उसका मित्र ब्रहमगुलाल बहुत कुशलबहरूपिया था.
राजकुमार अपने मित्र की प्रायः प्रशंसा करता ही रहता था. मेरा दोस्त ब्रह्मगुलाल तो लाववों में एक है, उसका अभिनय तो बस
जब देखो तब उसकी पूछो ही मत...
ही प्रशंसा... जिब्स कप की धारण करता है वही लगता
है.
हम सब तो जैसे हैं ही नही.