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बनारसीदास
आलेख 'अखिल बंसल प्रस्तुति • अनन्त कुशवाहा
ये जैन धर्म स्वीकार करने से पहले राजवंशीय राजपूत थे ।
प्रणाम मुनिराज ।
1.
बनारसी दास श्रीमाल वंशीय जैन थे। | इस वंश के लोग रोहतक शहर के निकटस्थ विहोली ग्राम में रहते थे।
बनारसीदास के पिता का नाम खड़गसेन था ।
इनके व्यापार का क्षेत्र जौनपुर और आगरा था।
वे पढे-लिखे थे और रत्नों के व्यवसाय में दक्ष थे । 17
जौनपुर में रहते हुए पुत्र प्राप्ति के लिए चिन्तित थे ।
सती माता का दर्शन करने चलें,
पुत्र प्राप्ति की कामना से सपत्नीक खड़गसेन रोहतक की 1586 ई. में माघ शुक्ल, एकादशी, शनिवार -सती माता की पूजा करने वहां कई बार गए ।
1 को एक पुत्र का जन्म हुआ- विक्रमजीत