________________ 89 श्रद्धेय पूज्य ब्र० शीतलप्रसाद जी की कहानी ( श्री राधेलाल समैया 'तन्मय' ) युग पुरुष ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद जी की सुनिये कहानी / जैन धर्म भूषण, जैन धर्म-दिवाकर का परिचय मेरी जवानी / / टेक // लखनऊ नगर में उनका जन्म हुआ था / सन् अठारह सौ अठहत्तर में उन्होंने जन्म लिया था / बचपन से ही बालक निर्भय अरु निडर था / अग्रवाल-वैष्णव जाति में उनका विवाह हुआ था / / सत्ताईस वर्ष बचपन से जवानी तक है समय बितानी // 1 // माता-पिता-भाई के बियोग से भये तत्व ज्ञानी / पत्नी भी अल्पकाल में स्वर्गवास धाम सिधारी // रेलवे की नौकरी से तब उन्होंने मोह हटानी / जैन धर्म से हुई प्रीत बने ब्रह्मचर्य व्रत धारी // लोगों ने बहुत समझाया लघु भायु कैसे जीवन बितानी // 2 // गहवास छोड़ गये बम्बई जैन मंदिर में प्रवेश पानी / मानकचंद पानाचंद सेठ से हुई भेंट तब कही कहानी // गजट 'जैन मित्र' और 'वीर' के संपादक बने, समाज सेवा की ठानी / समाज-सुधार के अग्रगामी नेता बने तब से ये प्रानी // समाज की दुर्दशा देख आंखों से बहता था पानी // 3 // अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद को उन्होंने जनम दिया था। समकालीन सुधारक बैरिस्टर बम्पतराय से सम्पर्क बना था / जज जगमंदर, सूरजभान वकील, जमनाप्रसाद का सहयोग लिया / अजितप्रसाद वकील, राजेन्द्रप्रसाद, रतनलाल ने काम किया था / देश में अनेक सुधारकों ने समाज में कुरीतियां मिटाने को हलचल मचानी।४। वर्मा, लंका आदि देशों में उनका पर्यटन हुआ था / जैन धर्म के प्रचार अरु साहित्य उद्धार में योग दिया था / देश भर में प्रचार हो उनका एक मात्र लक्ष्य यही था / सारे ही तीर्थ स्थानों में उनका भ्रमण हुआ था / : सेठ मानकचंद जे. पी. के गुरु बने वे ब्रह्मज्ञानी // 5 // अनेकों शास्त्रों के वे टीकाकार और लेखक बने मासानी / समयसार, नियमसार, प्रवचनसार में कथी अध्यात्मबानी //