________________ 94 "तन्मय" को विश्वास है इतिहास में अमर रहेगी उनकी कहानी // 32 // तारण स्वामी के ग्रंथों में अध्यात्मवाद की भरी हुई है बानी / निश्चय अरु व्यवहार से कथनी कर मार्ग दर्शन करानी // चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग, करणानुयोग का परिचय करानी / ब्रह्मचारी जी ने प्रन्थों की प्रशंसा कर उनका महत्व समझानी // भगवान महावीर से भगवन् कुंद-कुंद तक की भरी हुई इनमें वानी // 33 / / तारण समाज को तारण साहित्य के अनुवाद की बड़ी चाह थी / सौभाग्य से ब्रह्मचारी जी मिल गये तब चातुमास की सलाह थी / / ब्रह्मचारी जी को भी प्राचीन ग्रन्थों के उद्धार की बड़ी च ह थी / तारण समाज विरोधी व्यक्तिओं की नहिं उन्हें परवाह थी // सन बत्तीस में मथुराप्रसाद ने श्री जी को है शास्त्र दिखानी // 34 // सागर में राइसे बजाज बैशाखिया, नंनेलाल आदि पुरुष थे भाई / खुरई में चौधरौ जी, बांदा में सेठ शिखरचंद, मुरलीधर थे भाई // बासौदा, होशंगाबाद, सिरोंज, दमोह, छिंदवाड़ा सब प्रांत में रहें भाई / जबलपुर, सिलवानी, भोपाल, नागपुर, टिमरनी. विदिशा के सब भाई॥ तारण सिद्धांत को पढ़ना जानते थे नहिं अर्थ समझे थे प्राणी // 35 // छह संघ सम्मेलन से समाज में जागरूकता आई / पं० जयकुमार, ब्रह्मचारी गुलाबचंद्र ने गृह छोड़ा भेषधारा भाई // वर्तमान में पांच सौ ग्राम नगरों में हैं करीब पच्चीस हजार तारणपंथी भाई / ब्रह्मचारी जी के संपर्क से नौ ग्रंथ प्रकाशित हो गये भाई // पांच ग्रंथ अब भी हैं जिन पर विद्वान् गण अपनी दृष्टि जमानी // 36 // तारण समाज के कई वंधुओं ने तारण साहित्य का सजन किया है। पंडित चम्पालाल ने जिनवाणी संग्रह में ग्रन्थों का उल्लेख किया है। अमृतलाल 'चंचल' कवि भूषण ने पत्र में लेखन कार्य किया है / तीन बत्तीसी, श्रावकाचार ग्रथ का पद्य पाठ भी लिख दिया है // समाजरत्न पंडित जयकुमार ने छदमस्त वाणी का अर्थ लिख दिया है / ब्रह्मचारी, धर्म दिवाकर गुलाबचन्द्र ने चौदह ग्रंथों का अध्यात्मवाणी में संकलन किया है। पृज्य कानजी स्वामी ने अष्ट प्रवचनों में जिनका रहस्य प्रगट किया है / विमलादेवी, चमेलीबाई, मुक्त श्री बहिन ने साहित्य पर प्रवचन किया है। तारण तरण युवा परिषद शिविर लगाकर आज जन-जन में प्रचार करानी / 38 / समाज को श्रीमंत सेठ सा० का पूर्ण रूपेण सहयोग मिला है / शास्त्रों को जैन-समाज में घर-घर तक पहुंचाने का सुयोग मिला है /