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________________ 44 0 श्रीगच्छाचारप्रकीर्णकम् 'गुरुणा' स्वधर्माचार्येण 'तय'ति स गच्छः / किञ्चिल्लब्धिस्वरूपं यथा - "आमोसहि 1 विप्पोसहि 2 खेलोसहि 3 जल्लओसही 4 चेव / सव्वोसहि 5 संभिन्नसोय 6 ओही 7 रिउ 8 विउलमइलद्धी 9 // 1 // चारण 10 आसीविस 11 केवली य 12 गणधारिणो 13 य पुव्वधरा 14 / अरहंत 15 चक्कवट्टी 16 बलदेवा 17 वासुदेवा य 18 // 2 // खीरमहुसप्पिआसव 19 कुट्ठयबुद्धी 20 पयाणुसारी य 21 / तह बीयबुद्धि 22 तेअग 23 आहारग 24 सीयलेसा य 25 // 3 // वेउव्विदेहलद्धी 26 अक्खीणमहाणसी 27 पुलाया य 28 / परिणामतवविसेसेण एमाई हुंति लद्धीओ // 4 // [प्रव०सा० 1492-1495] भवसिद्धियपुरिसाणं एयाओ 28 हुंति भणियलद्धीओ / भवसिद्धिय-महिलाणवि जत्तिय जायंति तं वुच्छं // 5 // अरिहंत 1 चक्कि 2 केसव 3 बल 4 संभिन्ने य 5 चारणे 6 पुव्वा 7 / गणहर 8 पुलाय 9 आहारगं च 10 न हु भवियमहिलाणं // 6 // अभवियपुरिसाणं पुण दस पुव्विल्ला उ केवलित्तं च 11 / उज्जुमई 12 विपुलमई 13 तेरस एयाउ न हु हुंति // 7 // अभवियमहिलाणं पुण एयाओ न हुंति भणियलद्धीओ 13 / महुखीरासवलद्धीवि नेव सेसा उ अविरुद्धा // 8 // " [प्रव०सा० 1505-1508] इति // 71 // जत्थ य संनिहि-उक्खड-आहडमाईण नामगहणेऽवि / पूईकम्मा भीआ, आउत्ता कप्प-तिप्पेसु ||72|| यत्र च सन्निध्युपस्कृत-आहृतादीनां नामग्रहणेऽपि / पूतिकर्मणः भीता आयुक्ताः कल्पत्रेपयोः // 72 // 1. '०तेप्पेसु' F-प्रते / - - - - - - - -
SR No.032876
Book TitleGacchachar Prakirnakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashratnavijay
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year182
Total Pages182
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gacchachar
File Size23 MB
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