SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राकृत-अपभ्रंश-साहित्य में नेमिनाथचरित - श्रीमती डॉ. सरोज जैन, उदयपुर तीर्थङ्करों में सबसे अधिक महाकाव्य शान्तिनाथ पर उपलब्ध हैं। वे चक्रवर्ती पदधारी भी थे। द्वितीय क्रम में २२वें नेमि और २३वें पार्श्वनाथ पर कई काव्य लिखे गये थे। तृतीय क्रम में आदिजिन वृषभ, अष्टम चन्द्रप्रभ और अन्तिम महावीर पर चरितकाव्य लिखे गये। वैसे भी तीर्थङ्करों और अन्य महापुरुषों पर चरित ग्रन्थ लिखे जाने के छिटफुट उल्लेख मिलते है। नेमिनाहचरियं- २२वें तीर्थङ्कर नेमिनाथ पर प्राकृत में तीन रचनाएं उपलब्ध हैं। प्रथम जिनेश्वरसरि की है जो सं.११७५ में लिखी गयी थी। दसरी मलधारी हेमचन्द्र (हर्षपरीय गच्छ के अभयदेव के शिष्य) की 5100 ग्रन्थाग्रप्रमाण (१२वीं का उत्तरार्द्ध) है तथा तीसरी बृहद्गच्छ के वादिदेवसूरि के शिष्य रत्नप्रभसूरिकृत विशाल रचना है, जिसका रचना संवत् 1233 है। यह गद्य-पद्यमय रचना 6 अध्यायों में विभक्त है। इसका ग्रन्थान 13600 प्रमाण है। णमिणाहचरियं- यह द्वितीय आचार्य हरिभद्रसूरि की महत्त्वपूर्ण रचना है जिसका प्रथम भाग लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद से प्रकाशित हुआ है। इसमें भगवान् अरिष्टनेमि के पूर्वभव वर्णित है। भवभावना- इसके रचयिता मलधारी आचार्य हेमचन्द्रसूरि हैं। उन्होंने वि.सं. 1223 (सन् 1970) में प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की है। इसमें भगवान् नेमिनाथ का चरित, कंस का वृतान्त, वसुदेव देवकी का विवाह, कृष्ण जन्म, कंस-वध आदि विविध प्रसंग है। कण्हचरियं- (कृष्णचरित) इस ग्रन्थ के रचयिता तपागच्छीय देवेन्द्रसूरि हैं। प्रस्तुत चरित में वसुदेव के पूर्वभव, कंसका जन्म, वसुदेव का भ्रमण, अनेक कन्याओं से पाणिग्रहण, कृष्ण का जन्म, कंस का वध, द्वारिका नगरी का निर्माण, कृष्ण की अग्रमहिषियाँ, प्रद्युम्न का जन्म, जरासंध के साथ युद्ध, नेमिनाथ और राजीमती के साथ विवाह की चर्चा आदि सभी विषय आए हैं। इनके अतिरिक्त भी अनेक रचनाएँ हैं। अपभ्रंश के नेमिनाथचरित काव्यों की निम्नलिखित पाण्डुलिपियां ग्रन्थ-भण्डारों में प्राप्त हैं१. नेमिजिनवर प्रबन्ध- लावण्यसमय / पत्र सं. 174174145 / रचनाकाल, सं. 1546 / आमेर शास्त्राभण्डार, जयपुर। 2. नेमिनाथ कुमार राजीमती चरित- माणिक्यसुन्दर। अनुक्रम. 7750 / लेखनकाल सं. 1751 / लालभाई दलपत भाई शोध संस्थान, अहमदाबाद। 3. नेमिनाथचरित- लक्ष्मणदेव। अनु. 463 अ. का क्रम सं. 1296 / पत्र सं. 58 / 10x1144 / / / / लेखनकाल सं. 1529, श्रावणकृष्ण 11 / सरस्वती भवन नागौर। 4. नेमिनाथचरित - अमरकीर्ति। रचनाकाल सं. 1244 / भट्टारकीय भण्डार, सोनागिरि। 5. नेमिनाथचरित - पंत्र सं. 106 / 10 5 / अपूर्ण। वेष्टन सं. 15, दि जैनमन्दिर, दबलाना (बूंदी)। 6. नेमिनाथचरित - कवि दामोदर, सरस्वती भवन नागौर। -66
SR No.032866
Book TitleJain Vidya Ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain
PublisherGommateshwar Bahubali Swami Mahamastakabhishek Mahotsav Samiti
Publication Year2006
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy