________________ जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 16/18-45-46 आदि / 32. जै०सा०का०बृ०इ०भाग 6 पृ० 486 / 33. जिनरत्नकोश पृ 376 34. वही पृ 380 / 35. जैन साहित्य और इतिहास पृ० 431 / 36. जिनरत्नकोश पृ० 336 / 37. वही पृ० 302 38. वही पृ० 311 36. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान पृ० 135 - जै०पी०जैन। 40. नेमिनिर्वाण महाकाव्य - नागौर के शास्त्र भंडार में इस काव्य की चार हस्तलिखित प्रतियाँ है नं० 21, 66, 107, 254 / 41. संस्कृत काव्य के विकास में जैनकवियों का योगदान पृ० 81, डा० नेमिचन्द्र शास्त्री, जैन शोधांक 8, पृ० 2-5-286 “वागभट एंव हरिचन्द में पूर्ववर्ती कौन" - पं० अमृतलाल जैन। 42. जिनरत्नकोश पृ० 244, पासनाहचरिय 43. जिनरत्नकोश पृ० 246 - पार्श्वनाथ चरित, जै०सा०और इ०पृ० 267 44. जिनरत्नकोश पृ० 306 महावीरचरिय 45. जिनरत्नकोश पृ० 306 46. जिनरत्नकोश पृ० 342 47. समवायांग सूत्र 12, आवश्यक नियुक्ति 374, स्थानांगसूत्र 10, 718 तिलोयपष्णति 1282 48. आवश्यक भाष्य सूत्र 41 46. ब०च० 17/40.41. पृ० 268 50. वही 17/43 पृ० 268 51. वही 17/42 पृ० 268 52. वही 17/44 पृ० 268 53. समवायांग सूत्र 132 54. प०च०भा० 24/1-11 पृ० 163 55. ह०पु० 2/77-87 / त्रि०ल०म०पु०पर्व 22 / 56. त्रि०ल०म०पु० 23/70 57. वही 23/154 58. वही 25/250