________________ कक्षा / नाम काम अतिउग्र | अनंतानुबंधी / | सम्यक्त्व का घात (व मिथ्यात्व) | अप्रत्याख्यानीय देशविरति का घात (व सम्यक्त्व तक आरोहण) मध्यम | प्रत्याख्यानीय | सर्वविरति का घात (व देशविरति मंद तक आरोहण) | संज्वलन वीतरागता की अटकायत (व सर्वविरति यावत् सूक्ष्म संपराय तक आरोहण) (i) अनंतानुबंधी कषाय :- अनंतानुबंधी के कषाय (क्रोधादि व रागद्वेषादि) ऐसे है कि जिन से पाप में हेयबुद्धि नहीं होती / "पाप में (कर्तव्य-भंगमें) क्या बिगडा?" ऐसा भाव होता है / जैसे कि 'परत्थकरणं' (सेवा, परार्थकरण) अगर नहीं किया तो क्या बिगडा?" ऐसी बुद्धि करने में अनंतानुबंधी कषाय लागु होते है / अकर्तव्य पर कर्तव्यता का लेबल (मुद्रा-सिक्का) लगाना तथा कर्तव्य पर अकर्तव्यता का लेबल (मुद्रा-सिक्का) लगाना यह अनंतानुबंधी कषाय से है / जैसे कि संयम-जीवन में 'थोडी सी निंदा कुथली की तो क्या बिगडा?' वैसे सदाचारी के लिए 'परस्त्री पर दृष्टि डाली तो क्या