________________ अविरति यह अगर बड़ा पाप न हों तो एक पेड का जीव हिंसाझूठ-चोरी आदि कोई पापाचरण नहीं करता है, फिर भी वह साधु नहीं है, क्यों? अविरति से / इस अविरति से सम्भव है असंख्य, अनंत वर्षों तक भी एकेन्द्रियपन में जन्म-जीवन-मरण करता रहता है / व्यवहार में भी देखते हैं कि, मकान बन्दकर 12 महिना विदेश गये, फिर भी अलबत्त; वहाँ के वोटर-गटर का उपयोग नहीं किया, तब भी सालभर का वोटर टेक्ष-गटर टेक्ष देना पड़ता है / अगर पहले से वोटर-गटर का कनेक्शन कटवाया होता तो टेक्ष नहीं लगता / बस, पापत्याग की प्रतिज्ञा (विरति) से पाप के साथ का कनेक्शन कट / कर्मबंध की जिम्मेवारी बन्द हो जाती है / प्र०:- अज्ञान लोग कहते हैं-हम मांसाहार आदि पाप नहीं करते हैं, फिर सौगंद की क्या आवश्यकता है? उ०:- सौगंद से भविष्य के लिए भी पाप की संभावना (अपेक्षा) बंद करनी है / (3) कषाय : कष = संसार, आय = लाभ / जिससे संसार (भवभ्रमण) का लाभ हो यह कषाय है, जैसे कि, क्रोध-मान-माया-लोभ आदि / इनसे भारी कर्मबंध हो संसारधारा अस्खलित चलती हैं / राग-द्वेष भी कषाय है / ये प्रत्येक कषाय चार कक्षा के होते हैं / इनका नाम व काम इस प्रकार है