________________ सारा काम ठप हो जाता हैं-, जैसे कि माली के चले जाने पर उद्यान उज्जाड हो जाता है / (6) शरीर वस्त्र के समान एक भोग्य पदार्थ हैं / मैला हो जाए तो इसे धो सकते हैं / उसे अधिक उजला भी किया जा सकता है / तेल की मालिश से व पफ-पावडर आदि प्रसाधनों से उसे कोमल, स्निग्ध, सुन्दर और सुशोभित भी किया जा सकता है, किन्तु यह सबकुछ करनेवाला कौन? स्वयं शरीर नही; किन्तु शरीर में विद्यमान आत्मा ही यह सब करती है / मृत शरीर द्वारा यह कुछ नहीं किया जा सकता / (7) शरीर की रचना एक गृह के समान हुई है / उसमें ईतनी व्यवस्थित रचनाएँ करनेवाला कौन है? कहना होगा कि पूर्वोपाजित कर्म के साथ परलोक से चली आई आत्मा ही इन्हें करती है / यह करने की शरीर की कोई गुंजाइश नहीं / आत्मा शरीर में से चले जाने पर इस की सब कार्यवाही ठप हो जाती है / (8) इन्द्रियों में ज्ञान करने की यानी जानने की स्वतंत्र शक्ति नहीं है; क्यों कि शरीर मृत होने के पश्चात्, इन्द्रियाँ पूर्ववत् रहने पर भी वे कुछ भी नहीं कर सकती / आँख कान आदि परस्पर सर्वथा भिन्न होने के कारण "जो 'मैं' वाद्ययन्त्र देख रहा हूँ वही 'मैं' शब्द सुन रहा हूँ" 'इस प्रकार दृश्यरूप और श्राव्य शब्द को देखने तथा सुननेवाले का एकीकरण भिन्न-भिन्न इन्द्रियाँ नहीं कर