________________ सकती / ' ज्ञान व एकीकरण आदि करनेवाला एक निराला स्वतन्त्र द्रव्य होना चाहिए / वही स्वतन्त्र आत्मद्रव्य है / ___ शरीर कोई एक व्यक्ति नहीं है / यह तो हाथ, पैर, मुख मस्तक, छाती, पेट आदि का समूह है / शरीर ऐसा एक स्वतन्त्र व्यक्ति नहीं है जो इन सबका एकीकरण करने में समर्थ हो / अतः एक स्वतन्त्र व्यक्ति के रूप में 'आत्म-द्रव्य' स्वीकार करना होगा / जो सब इन्द्रियाँ व गात्रों में से कभी किसी का, कभी किसी का प्रवर्तन, किसी का परिवर्तन, किसी का निवर्तन कर सके / (9) चक्षु या श्रोत्र आदि इन्द्रिय का नाश हो जाने पर भी उसके द्वारा प्राप्त पूर्व अनुभवों का स्मरण किसको होता है? क्यों कि यह नियम है कि- 'जिसे अनुभव होता है वही स्मरण कर सकता है / ' यदि इन्द्रिय खुद अनुभव करनेवाली होती तो वह तो नष्ट हो चुकी है / तो स्मरण नहीं हो सकता / वास्ते अनुभव के रूप में स्मरण करनेवाली आत्मा को ही मानना होगा, इन्द्रिय को नहीं / (10) नए-नए विचार, भाव-संवेदन, व इच्छाएँ आदि करनेवाली, वाणी बोलनेवाली, इन्द्रियों को प्रवृत्त करनेवाली, एवं इसी प्रकार हाथ, पांव आदि अंगो को हलन-चलन करवाने का प्रयत्न करनेवाली कौन हैं? कहिए आत्मा ही है / आत्मा ही जब चाहती है तब इन्द्रियों, गात्रों, जीभ व मन को प्रवर्तन-निवर्तन-परिवर्तन कराती है / इस प्रकार इन सब का संचालक स्वतन्त्र 'आत्मा' -द्रव्य सिद्ध होता है |