________________ अनुरूप परिणति वाली श्रद्धा जरूरी है / नव तत्त्व का सरल बोध तत्त्व का नाम तत्त्व की व्याख्या 1. जीव 2. अजीव / 3. पुण्य चैतन्यलक्षण युक्त (ज्ञानादि स्वभाववाला) चैतन्य रहित, जङ-पुद्गल-आकाशादि द्रव्य / शुभ कर्म, जिनके उदय से मनचाही वस्तु प्राप्त होती है, जैसे शातावेदनीय, यशनामकर्म आदि के उदय से शरीर को शाता एवं यश आदि मिलते हैं। 4. पाप 5. आश्रव अशुभ कर्म, जिनके उदय से अनिष्ट पदार्थ मिलते है, जैसे अशाता, अपयश आदि / जिस से आत्मा में कर्म का आश्रवण-प्रवाह वह आना-आगमन होता है, कर्मबन्ध के कारण है- मिथ्यात्व, अविरति, कषाय, योग, प्रमाद आते हुए कर्म को रोकने वाला / जैसे किसम्यक्त्व, क्षमादि, परिषह, शुभ भावना, व्रतनियम, सामायिक चारित्रादि / आत्मा के साथ कर्म का दूध और पानीवत् 57 6. संवर 7. बन्ध