________________ सात प्रकार के प्रश्न खड़े होते है / इन सातों प्रकारों को 'सप्तभंगी' कहते हैं / पहले वस्तु के अपने द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव अर्थात् दड़ (द्रव्य), स्थान, समय और गुणधर्म का विधेय स्वरुप में विचार करें तथा इनसे विपरीत निषेध्य स्वरूप से विचार करों, दोनों स्वरुप वस्तु के साथ संलग्न हैं / उदाहरण : घड़ा एक वस्तु है / इसके साथ स्वद्रव्य (उपादान)स्वक्षेत्र-स्वकाल-स्वभाव का सम्बन्ध है / किन्तु वह द्रव्य के साथ विधेय रूप में यानी अस्तित्व रुप में, यानी परस्पर संलग्न यानी अनुवृत्ति रुप में संबद्ध है / अर्थात् यह स्वद्रव्य-मिट्टी आदि घटमय है / घड़े के साथ परद्रव्य, परक्षेत्र,परकाल, परभाव का भी सम्बन्ध है | किन्तु वह द्रव्य के साथ नास्ति रुप में, निषेध्य रुप में, पृथक् रूप में, व्यावृत्ति रूप से है अर्थात् ये घट से सर्वथा अस्पृश्य हैं / किसी एक घड़े का स्वद्रव्य मिट्टी है, स्वक्षेत्र रसोई घर है, स्वकाल कार्तिक मास है, स्वभाव लाल, बड़ा, मूल्यवान आदि है / क्योंकी घडा मृतिकामय है, रसोई घर में है, कार्तिक मास में वर्तमान है, तथा वह स्वंय लाल है, बडा है आदि / ये सब स्वद्रव्यादि विधेय है / इसके विपरीत घडे का 'परद्रव्य' सूत्र (धागा) है, 'परक्षेत्र' छत है, 'परकाल' मार्गशीर्ष मास है, 'परभाव' काला छोटा सस्ता आदि 32 33880