________________ निक्षेप एक प्रकार का वस्तु का विभाग है / प्रत्येक वस्तु के कम से कम चार निक्षेप, चार विभाग पडते हैं / जैसे कि नामनिक्षेप, स्थापनानिक्षेप, द्रव्यनिक्षेप, भावनिक्षेप / (1) नामनिक्षेप :- अर्थात् (i) अमुक नाम का पदार्थ, या (ii) नाम जैसेकि इन्द्र नाम का बालक, अथवा (ii) इन्द्र यह नाम / इसी प्रकार जैनत्व के किसी भी गुण विहीन नाममात्र से जैन, अथवा 'जैन' यह नामः नाम निक्षेप से जैन है / / (2) स्थापना निक्षेप :- अर्थात् मूल व्यक्ति की मूर्ति, चित्र, फोटो आदि, या आकृति / यह मूर्ति आदि में मूल वस्तु की स्थापना अर्थात् धारणा की जाती है / जैसे मूर्ति को लक्ष्य कर के कहा जाता है : 'यह महावीर स्वामी है' / नक्शे में कहा जाता है 'यह भारत देश है', 'यह अमेरिका है' इत्यादि स्थापना निक्षेप से व्यवहार है / (3) द्रव्य निक्षेप :- द्रव्यनिक्षेप का अर्थ है मूल वस्तु की पूर्वभूमिका, कारण-अवस्था अथवा उत्तर अवस्था की उपादान (आधार) रूप वस्तु, या चित्त के उपयोग से रहित क्रिया / जैसे कि भविष्य में राजा होने वाले राजपुत्र को किसी अवसर पर 'राजा' कहा जाता है, वह द्रव्यराजा है | तीर्थंकर होने वाली आत्मा के विषय में तीर्थंकर बनने से पहेले भी 'मेरू पर तीर्थंकर का अभिषेक होता है' इत्यादि वचन कहे जाते हैं / अथवा जब समवसरण पर बैठकर तीर्थ की स्थापना नहीं कर रहे है / किन्तु विहार कर रहे हैं, तब भी उन्हे 0 3300