________________ हुआ / ) इस प्रकार वस्तु वही की वही रहने पर भी भिन्न भिन्न अपेक्षाओ से अमुक अमुक निश्चित प्रकार से बोध होता है, और तदनुसार व्यवहार भी किया जाता है, यह विभिन्न नयो के घर का है / पदार्थ पर, द्रव्य पर, पर्याय पर, बाह्य व्यवहार पर, अथवा आंतरिक भाव पर दृष्टि रखकर भिन्न भिन्न नयों का प्रवर्तन होता है / उपर्युक्त सात नयों का संक्षेप शब्दनय अर्थनय, अथवा द्रव्यार्थिकनय - पर्यायार्थिकनय, या निश्चयनय-व्यवहारनय इत्यादि रूपों में हो सकता निक्षेप : एक ही नाम अलग अलग पदार्थो के लिए प्रयुक्त होता है | 'जैसे - 1. किसी बालक का नाम राजाभाई रखा गया है / उसे राजा के नाम में संबोधित किया जाता है / इस प्रकार 2. राजा के चित्र को भी राजा कहा जाता है / 3. कभी कभी राजा के पुत्र को भी राजा कहा जाता है / जेसे यह पिता की अपेक्षा सवाया राजा है / ' 4. वास्तविक राजा को भी राजा कहते है / इस प्रकार राजा का स्थापन (i) केवल नाम में अथवा (ii) आकृति में, अथवा (ii) कारण द्रव्य में भी होता है / राजत्व के भाव में तो होता ही है | जैन शास्त्र में इसे निक्षेप कहते हैं / निक्षेप सामान्यतः चार प्रकार के होते हैं /