________________ दर्शनशास्त्रो में सन्मति तर्क, अनेकान्तवाद, ललित विस्तरा, धर्मसंग्रहणी, शास्त्रवार्तासमुच्चय, षड्दर्शनसमुच्चय; स्याद्वादरत्नाकर, उत्पादादिसिद्धि, नयोपदेश, अनेकांत-व्यवस्था, प्रमाणमीमांसा, न्यायावतार, द्रव्यगुणपर्याय का रास, सप्तभंगी, तर्कपरिभाषा, स्याद्वादमंजरी रत्नाकरावतारिका आदि सम्मिलित है / चरित्रग्रन्थों में वसुदेवहिंडि, त्रिषष्ठीशलाका पुरुष चरित्र, शत्रुजयमाहात्म्य, कुवलयमाला, समराइच्चकहा, भविसयत्त चरियं, पुहवीचंद-गुणसागर चरियं, तरंगवती, अममचरित्र, जयानंदकेवली चरित्र आदि अनेक चरित्र हैं / शब्दशास्त्रो में सिद्धहे मव्याकरण, बुद्धि सागरव्याकरण, अभिधानचिन्तामणि, अनेकार्थनाममाला, काव्यानुशासन, लिंगानुशासन, छंद पर वृत्तरत्नाकर, न्यायसंग्रह, देशीनाममाला, हेमप्रकाश, लघुहेमप्रक्रिया, उणादि प्रकरण इत्यादि रचनाएँ हैं / काव्यशास्त्रो में तिलकमंजरी, द्वयाश्रय काव्य, शालिभद्र चरित्र, हीर सौभाग्य, जैन मेघदूत, गौतमीय काव्य विजय प्रशस्ति, कुमारपाल चरित्र, शान्तिनाथ महाकाव्य आदि हैं / ज्योतिष शास्त्रादि :- आरंभसिद्धि, नारचंद्र, लग्न शुद्धि / इनके __ अतिरिक्त, वास्तुसार आदि शिल्प-शास्त्र तथा अन्य शास्त्र / 30 31688