________________ भद्रबाहुस्वामी ने श्लोकबद्ध संक्षिप्त विवेचना लिखी है, उसे 'नियुक्ति शास्त्र कहते हैं / उस पर पूर्वधर महर्षियों ने श्लोकबद्ध अधिक विवेचन किया, वह 'भाष्य' है / तीनों पर आचार्यों ने प्राकृत संस्कृत विवरणो की रचना की जो 'चूर्णि' और 'टीका' कहलाती हैं / इस प्रकार सूत्र, नियुक्ति, भाष्य, चुर्णि, टीका ये पंचांगी आगम कहलाते अन्य जैन शास्त्र प्रकरण शास्त्रों में तत्त्वार्थ महाशास्त्र, जीवविचार, नवतत्त्व, दण्डक, संग्रहणी क्षेत्र समास, छ: कर्मग्रंथ, पंचसंग्रह, कर्मप्रकृति, देववंदनादि 3 भाष्य, लोक प्रकाश, प्रवचन सारोद्धार आदि अनेकानेक शास्त्र है / प्रकरण शास्त्रो की रचना बहुश्रुत आचार्यों ने की है / उपदेश शास्त्रो में उपदेशमाला, उपदेशपद, पुष्पमाला भवभावना, उपदेशतरंगिणी, अध्यात्मकल्पद्रुम, शांत सुधारस, 32 अष्टक, उपमितिभवप्रपंचा कथा, आदि शास्त्र हैं / आचारग्रन्थों में श्रावकधर्मप्रज्ञप्ति, श्राद्धविधि, धर्मरत्न प्रकरण, श्राद्धप्रतिक्रमण वृत्ति, आचार-प्रदीप, धर्मबिन्दु, पंचाशक, बीसबीसी, षोडशक, धर्मसंग्रह, संधाचार भाष्य आदि का समावेश है / योग ग्रन्थों में ध्यानशतक, योगशतक, योगबिन्दु, योगदृष्टि समुच्चय, योगशास्त्र, अध्यात्मसार, 32 बत्तीसी, योगसार आदि रचनायें ER 3150