________________ इस में मुझे लेश मात्र भी संदेह नहीं है / ___ पं. राममिश्र आचार्य _ 'अहिंसा की अनोखी भेंट जैन धर्म के प्रवर्तक तीर्थंकर परमात्माओं ने ही प्रदान की है / ' डो. राधाविनोद पाल महावीर ने दुंदुभिनाद से हिन्दुस्तान में संदेश फैलाया कि धर्म वास्तविक है / यह आश्चर्य की बात है कि इस सन्देश-शिक्षा ने देश को वशीभूत कर लिया / डो. रवीन्द्रनाथ टागोर श्री महावीरजी द्वारा प्रदर्शित मार्ग का अनुसरण करने से हम पूर्ण शांति प्राप्त कर सकते हैं / डो. राजेन्द्रप्रसाद वेदान्त दर्शन से पूर्व जैन धर्म प्रचलित था / जैन- धर्म का प्रचार सृष्टि के आरंभ काल से ही था / डो. सतीशचन्द्र अपने से पूर्व हो गये 23 महर्षियों अथवा तीर्थंकरों द्वारा दिए गए उपदेश की परम्परा का वर्धमान (महावीर स्वामी) ने आगे बढाया / ईस्वीसन् पहले ऋषभदेव के असंख्य उपासक थे / इसे सिद्ध . . .. . . .. . ...