________________ का प्रमाण बढ़ता है / (3) हृदय कमल में श्री नवकार मंत्र के सफेद रत्नसदृश्य सफेद चमकते अक्षरों का वांचन करके अखंड जाप में वृद्धि करना / यह आन्तर-दर्शन का प्रयोग है / (4) भाष्य, उपांशु और मानस; इन तीन प्रकार के जाप में आंखे बन्द रखते हुए पहले मुख से उच्चारण (भाष्य जाप) करना, तथा अभ्यास बढ़ जाने पर मानसिक उच्चारण (उपांशु जाप) करके 'ऋषभदेव, अजितनाथ, संभवनाथ' ...इस प्रकार 24 भगवान के नाम बोलते एक बार पूरे होते ही तत्काल दूसरी बार बोल के, ये पूरे होते ही तीसरी बार...इस अवधि में यह लक्ष्य रहे कि दूसरा कोई भी विचार न आए, और बोर्ड पर लिखे हुए अक्षरों के वांचन पर लक्ष्य रहे / इस रीति से आगे बढ़ते हुए प्रमाण देखते चलना कि क्या अखंड रूप से 24, 48, 72, 96 नाम तक अखंड ध्यान जारी रहता है न? तीसरे प्रकार के मानस जाप के लिए आन्तरिक उच्चारण को भी छोड़ दिया जाता है / किन्तु भीतर बिना उच्चारण किए किस रूप में अक्षर लिखे हैं इसे स्पष्ट देखते हुए जाप किया जाता है / अलबत्ता इसमें उतावली काम लगेगी नहीं, किन्तु एकाग्रता का ऐसा बढिया अभ्यास होगा कि ध्यान करने की शक्ति प्राप्त होगी / (5) एक प्रकार यह भी है कि अपने अन्तर में अथवा दो नेत्रों के बीच के अन्तर में मानो अपने परिचित स्वर वाले कोई गुरूमहाराज 2910