________________ प्रकार कामोत्पादक वचन, मोहचेष्टा, वाचालता, अत्यधिक तथा उद्भट भोग आदि का आचरण नहीं करना चाहिए / iv. प्रमादाचरण में :- सिनेमा, टि.वी., विडीयो, नाटक, खेल, तमाशा, श्रृंगारी चित्र-प्रदर्शन, पशु युद्ध, क्रिकेट आदि बड़े-बड़े खेल आदि न देखने की तथा ताश आदि न खेलने की प्रतिज्ञा / यह सर्वथा शक्य न हो तो नियत प्रमाण से अधिक न देखने की प्रतिज्ञा / फांसी, पशु-युद्ध, मल्ल-युद्ध आदि जीवघातक दृश्य या प्रसंग न देखने की प्रतिज्ञा / ___ इसी प्रकार शौख या चाह के लिए तोता, कुत्ता, कबूतर आदि न पालने / विलासी उपन्यास, नवलिका, अखबार पत्र-पत्रिकायें न पढ़ने तथा नदी, तालाब, वावड़ी आदि में शौख से स्नान न करने की प्रतिज्ञा / अन्य अनावश्यक बातो का भी त्याग करना चाहिए / उपर्युक्त सिनेमा, नाटक आदि के प्रमाद-आचरण आत्मा की कामवासना, बाह्य भाव और कषायो की ओर आकृष्ट करने वाले हैं / श्रावक को यह तीव्र चिन्ता होती है कि 'सर्वथा निष्पाप जीवन कब मिलेगा / ' अतः वह आत्मा की उच्च प्रगति के बाधक बाह्य भावो और कषायो का पोषण नहीं करे / 9. शिक्षाव्रत : सामायिक :अनन्त जीवो को अभयदान देने वाली अहिंसा और सत्यादि व्रत 22668