________________ 8. गुण पक्षपात :- अपने जीवन में क्या, या दूसरों के जीवन में क्या; सर्वत्र गुणों पर रुचि रखनी, दोषों में रुचि नहीं / दोष के बदले में गुण का पक्षपाती बनना / आठ साधना - 1. कृतज्ञता :- देव-गुरु, माता-पिता, आदि किसीका भी अल्प भी उपकार भूलना नहीं / किन्तु उसे याद रखकर यथाशक्ति प्रत्युपकार करने के लिए तत्पर रहना / 2. परोपकार :- दूसरे ने उपकार न भी किया हो या न करनेवाला हो, तो भी दूसरे पर स्वंय निःस्वार्थ हो उपकार करते रहना / 3. दया :- दुःखी जीवों के प्रति हृदय को मृदु-कोमल दयालुमीठा रखकर यथाशक्य तन, मन, धन से दया करते रहना / निर्दय कभी न होना / कम से कम शब्द से आश्वासन देना / 4. सत्संग :- संसार में संगमात्र रोग है, दुःखदायी है, किन्तु सत्संग इस रोग के निवारण की जडीबुट्टी औषधि है / अतः सत्पुरुषों की अधिकाधिक संगति करनी / 5. धर्म श्रवण :- सत्संग, साधुसमागम प्राप्त करके धर्म का श्रवण करते रहना / उस से प्रकाश और प्रेरणा प्राप्त होती है, जिससे जीवन को सुधारने का अवसर प्राप्त होता है / 202358