________________ के फलस्वरूप धर्म-अर्थ-काम इन त्रिवर्ग को परस्पर बाधा पहुँचे / इन तीनों में से किसी एक पर ऐसा टूट पड़ना नहीं कि जिससे दूसरे को बाधा पहुँचे / अपयश, धर्मलघुता, धर्महानि....आदि अनर्थ उत्पन्न हो / 7. उपद्रव-युक्त स्थान का त्याग :- विद्रोह, महामारी, आदि उपद्रव युक्त स्थान का त्याग करना / 8. अयोग्य देश-कालचर्या-त्याग :- इसी प्रकार अयोग्य देश में या अयोग्य काल में घूमना नहीं / जैसे कि वेश्या या चोर बदमाशों की गल्ली-मोहल्ले में से नहीं जाना चाहिए / इस प्रकार अधिक रात हो जाने पर भी नहीं घूमना, अन्यथा कलंकित होना पडे, या लूटा जाना पडे / आठ गुणों का आदर - 1. पाप का भय :- पाप से सदैव डरना चाहिए / ऐसा भय रहे कि 'मेरे से शायद पाप हो जाए तो?' इस गुण से पाप के प्रसंग पर 'इससे आत्मिक दृष्टि से मेरी क्या दशा होगी?' ऐसा भय बना रहता है, व पाप से बचा जाता है / यह आत्मोत्थान की नींव है / 2. लज्जा :- अकार्य करते समय यदि लज्जा का अनुभव हो, तो जहाँ तक हो सके वहाँ तक उसे न करें / इसी प्रकार बडो 2 23388